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Friday, 22 December 2017

सबसे बड़ा कारण है - विचार ! Inspirational Story in Hindi

महाभारत में एक Motivational Story आती है , आप सबने पहले पढी होगी। नहीं पढी है तो पढिए और पढी है तो जरूर पढ़िए। महाभारत की इस कहानी में एक गंभीर Inspirational lesson छिपा है। 


एक बार गुरू द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों को सबक सिखाने के लिए दुर्याेधन और अर्जुन दोनों को अपने पास बुलाया।

दोनों Right Time और Right Spot गुरू द्रोणाचार्य के समक्ष हाजिर हुए। सभी शिष्य भी वहां उपस्थित थे।

द्रोणाचार्य ने सबसे पहले अर्जुन से कहा कि ‘अर्जुन! पूरे हस्तिनापुर में भ्रमण करके आओ और मुझे बताओं कि हस्तिनापुर में कुल कितने बुरे आदमी रहते हैं।‘ 
गुरू की आज्ञा मिलते ही अर्जुन हस्तिनापुर में कुल बुरे आदमियों की संख्या जानने के लिए निकल पड़ा। दो घंटे बाद पूरे नगर का भ्रमण करके अर्जुन द्रोणाचार्य के पास आया और बोला ‘ क्षमा करे गुरूदेव ! लेकिन मुझे पूरे नगर में एक भी बुरा आदमी नहीं मिला। सभी सज्जन और अच्छे हृदय के लोग है हस्तिनापुर में।

द्रोणाचार्य ने बिना कुछ बोले अर्जुन को एक तरफ खड़ा रहने का इशारा किया। 
Motivational-Article-in-hindi

और दुर्याेधन से बोले ‘दुर्याेधन जाओ ! पूरे नगर का भ्रमण करके आओ और मुझे बताओं कि नगर में कितने अच्छे आदमी रहते हैं।‘

दुर्याेधन गुरूदेव की आज्ञा मिलते ही निकल पड़ा। पूरे नगर का भ्रमण करके वो दो घंटों के भीतर लौट आया और गुरूजी से बोला ‘गुरूदेव! मुझे पूरे नगर में एक भी भला व्यक्ति नहीं मिला , सभी छल से भरे हुए और बुरी सोच के व्यक्ति थे।‘

गुरूजी मुस्कुराएं और दुर्याेधन को एक ओर खड़े रहने का इशारा किया और अपने सभी शिष्यों को संबोधित करते हुए बोले -

‘ जैसा कि आप सबने देखा कि अर्जुन को पूरे नगर में एक भी बुरा व्यक्ति नहीं मिला और दुर्याेधन को पूरे नगर में एक भी भला व्यक्ति नहीं मिला। इसका कारण कोई बता सकता है .? यह कैसे संभव है ?‘

किसी भी शिष्य ने इस पहेली का उत्तर सुझाने का मन नहीं दिखाया और कुछ देर इंतजार करने के बाद द्रोणाचार्य बोले कि ‘इसका सबसे बड़ा कारण है - विचार।

जैसे आप लोंगो के विचार होंगे , आपकों दुनिया वैसी ही दिखेगी। यह विचारों का जादू है। आप भले है तो पूरी दुनिया आपको भली लगेगी , अपनी मदद करती दिखेगी , आप बुरे है , बुरी सोच रखते है तो पूरी दुनिया आपकों बुरी और आपके खिलाफ छल करती हुई लगेगी। इसलिए जीवन में जो कुछ भी करे, उसमें विचारों को सर्वाधिक महत्व दे। अपने विचार उच्च रखिए , आप स्वयं उच्च हो जाएंगे।‘

तो Friends महाभारत की यह छोटी सी कहानी जो हम लोग सुनते आ रहे है उसमें जीवन का सबसे बड़ा जादू छिपा है। (Read Also - विचार ही आपकी जिंदगी बनाते है।

महात्मा गांधी इस ताकत को जानते थे इसलिए उन्होंने कहा था ‘सादा जीवन उच्च विचार‘। बुद्ध भी इसलिए कहते रहते थे ‘ विचार ही सबकुछ है।‘ गीता में भी यही कथन आता है कि ‘जो भी कुछ है वह सब मुझमें है। सारी ऊर्जा का स्रोत मैं हूं।‘

इसलिए विचारों पर अधिक ध्यान दीजिए, दिमाग से हर नेगेटिव थोट Negative Thoughts को निकाल फेंकिये। और पाॅजिटिव Positive सोचिये। Comments के माध्यम से मुझे जरूर बताएं आपको यह कैसा लगा?

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Saturday, 16 December 2017

'फलसफ़ा ज़िंदगी का' - 1 . अपनी विश्वसनीयता बनाएं रखें

अपनी विश्वसनीयता बनाएं रखें


मोहित एक कंपनी में नया नया Recruit हुआ । उसकी एक समस्या यह थी कि उसे हर चीज में समस्या दिखती थी। अपनी भर्ती होने के एक महीने के अंदर ही वह अपनी कंपनी की बुराईयां करने लगा । वो Employees जो सालों से कंपनी में काम कर रहे थे , उनको भी मोहित कंपनी से होने वाली शिकायते किया करता था मसलन कर्मचारी वेलफेयर , काम का बोझ , अधिकारियों का सहयोग आदि को लेकर। अपने इस शिकायती रवैये से अन्य कर्मचारियों के मन में पहले ही उसने अपने प्रति नकारात्मक भावना (Negative Attitude) पैदा कर दी। 

साल भर बाद भर्ती में हुई विसंगतियों की वजह से कंपनी ने मोहित समेत 20 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। 
Inspirational Stories in Hindi
दो साल की कानूनी लड़ाई के बाद मोहित और उसके कर्मचारी फिर कंपनी में नियुक्त हुए। तब तक उस आॅफिस के अधिकतर कर्मचारी बदल चुके थे , यहां तक कि खुद बाॅस भी नया आ गया था। मोहित ने आॅफिस ज्वाॅइन किया। और फिर अपने शिकायती लहजे में अपने उपर हुई प्रताड़ना और कानूनी संघर्ष से प्राप्त हुई जीत के किस्से सुनाने लगा।  कर्मचारियों की उसके प्रति सहानुभूति ने उसे ज्यादा गंभीर नहीं लिया। बेरोजगारी के इस दौर में नौकरी किस मुश्किल से मिलती है?  इस संघर्ष ने मोहित को समझदार बना दिया फलस्वरूप उसका शिकायती लहजा कम हो गया। 

मोहित ने काम करना आरंभ किया , लेकिन एक घंटे से ज्यादा अपनी सीट पर वह बैठ नहीं सकता। इधर से उधर घूमना और साथ में अन्य कर्मचारी को भी चाय आदि पिलाने के बहाने अपने साथ इधर उधर घुमाने को लेकर उसकी आलोचना होने लगी। मोहित को सब मालूम है कि उसे कोई पसंद नहीं कर रहा , फिर भी वो इस बात को खुशी खुशी सबके सामने कहता भी है। 
फिर से एक महीने के अंदर हालत यह हो गयी कि कार्यालय का कोई भी सीनियर कर्मचारी उसे अपनी शाखा में काम में नहीं लेना चाहता , क्योंकि वह जानबूझकर खुद का और दूसरों का समय खर्च करता है साथ ही थोड़ी थोड़ी देर में उठने की आदत के कारण अपना काम भी पूरा नहीं कर पाता है। 

बात यह है कि अपनी विश्वसनीयता बनाना और उसे बनाएं रखना व्यक्ति के स्वंय के बूते की बात होती है। अगर कभी आपको लगे कि आपके बारे में नकारात्मक बातें हो रही है तो उसे हल्के में लेकर मजाक बनाने की बजाय आत्मविश्लेषण करें। शिकायती लहजा भी न रखे , समस्याएं किसे नहीं है ? अपनी कार्यालयी समस्याएं अपने सहकर्मियों को बताएंगे तो शिकायती व्यक्ति कहलाएंगे , लेकिन इन्हीं समस्याओं के लिए आप बाॅस या उच्च अधिकारियों से बात करेंगे तो अपने सहकर्मियेां में भी आप हीरो का दर्जा पाएंगे। कुल मिलाकर आप जहां भी काम करें , अपनी साख बचाए रखिए और अपने प्रति किसी प्रकार की गलत धारणा पैदा मत होने दीजिए


तो दोस्तों मैनें एक नया काॅलम शुरू किया है -'फलसफ़ा ज़िंदगी का' । इस काॅलम में रोजमर्रा की जिंदगी में सामने आने वाली सच्ची प्रेरणादायक कहानियों को फंडे की बात के साथ मैं यहां आपके लिए शेयर करता रहूंगा। बड़ी मेहनत से आप सबके लिए समय निकाल कर Inspirational Hindi Content ला रहा हूं इसलिए पढते रहिए , कमेंट करते रहिए और शेयर करते रहिए।  मुझे इंतजार रहेगा........

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Thursday, 14 December 2017

बधाई ! बधाई ! बधाई! 2,50,000+ Page Views

Motivational Articles in Hindi

सभी मित्रों को दिल खोलकर बधाई ! विचार प्रेरणा ब्लाॅग ने 2,50,000 Page Views का आंकड़ा पार कर लिया। कुछ दिनों से व्यस्त था , इसलिए यह जानकारी बता नहीं पाया । इसके लिए Sorrrrryyyyyyyy ! अगस्त 2013 में मात्र 33 पेज व्यूज से शुरू हुआ सफर आप सबके सहयोग और प्रेम से 2,50,000 से उपर पहुंच गया है। अभी इसका पूरा पूरा आंकड़ा 2,65,590 पेज व्यूज है। इस साल 2017 में इस ब्लाॅग की पाठक संख्या अद्भुत रूप से बढ़ी है। 
इस समय विचार प्रेरणा ब्लाॅग पर प्रतिदिन लगभग 500 और महीने में 15000 Readers आकर इसे पढ़ रहे हैं। यह सब कुछ सपना सा लग रहा है जब यह ब्लाॅग शुरू हुआ था तो सोचता था कि कभी मेरे भी प्रतिदिन 500 पेज व्यूज होंगे क्या ? लेकिन दोस्तों यह सपना सच हो गया है और अब तो इससे भी आगे बढ़ चुका है। 

पिछले कुछ समय से मैं भी व्यस्त था मित्रों , इसलिए ज्यादा कंटेट पोस्ट नहीं कर पा रहा था। लेकिन अब तैयार हो जाए New और Unique Motivational and Inspirational Articles and Stories के लिए। मैं इन दिनों यह भी सोच रहा हूं क्यों न अब इस ब्लाॅग को .com वेबसाइट पर Transfer कर दिया जाए ताकि इसका Look और पहुचं अधिक बढ़े , साथ ही प्रेरणादायक पोस्ट्स के साथ साथ कुछ नये नये Subjects पर भी पोस्ट लिखने का मन है मसलन Books, Travel , Stories , समसामयिक आदि आदि। 

अगर आप अपने किसी ब्लाॅग या Website का प्रचार यहां करवाना चाहते है तो विज्ञापन के लिए यहां Contact कर सकते है। आपका स्वागत है।

अभी कुछ ईमेल आए थे जिसमें मित्रों ने अपना Content पोस्ट करने के लिए भेजा था तो उन सबकों बता दूं कि प्लीज कविताएं मत भेजिए। मैं खुद भी एक कवि हूं , केवल कविताएं ही पोस्ट करनी हो तो मैंने भी बहुत सारी कविताएं लिखी है और मैं कवि सम्मेलनों में भी भाग लेता हूं। कविताएं केवल और केवल प्रसिद्ध कवियों की प्रसिद्ध रचनाएं जो वास्तव में लाखों लागों के लिए प्रेरणादायक साबित हुई , प्रकाशित की जा रही है। अगर आपके पास अच्छा आर्टिकल है तो हमें Vicharprerna@gmail.com पर जरूर भेजिए।

 सोचा कुछ भी नयी पोस्ट डालने से पहले मैं आप सबको अपनी यह खुशी जाहिर कर दूं , After All आप सब मेरे मित्र है। आप सबको फिर से बहुत बहुत धन्यवाद , अपना प्यार और साथ यूं ही बनाएं रखे।

Thank You Once Again .......................

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Wednesday, 21 September 2016

फिर बसंत आना है - Motivational Poem by Dr. Kumar Vishwas

दोस्तों पूर्व में हमने Dr Kumar Vishwas की प्रेरणादायक Motivational शायरियां पढी थी। मेरी उस पोस्ट को आप सभी का बहुत प्यार मिला। यह पोस्ट विचार प्रेरणा ब्लाॅग की सबसे बड़ी Hit!!! पोस्ट साबित हुई है। मुझे इस बात की खुशी है। 

डाॅ कुमार विश्वास की रचनाधर्मिता के प्रति आपकी रूचि को देखते हुए मैं उनकी एक कविता लेकर आया हूं, यह कविता मुझे बहुत प्रिय है और मुझे विश्वास है कि यह कविता आपको भी उतनी ही पसंद आएगी। 

डाॅ कुमार विश्वास की इस कविता में एक आस जगाई गई है जो किसी भी हारे हुए मन को पुनः ऊर्जास्वित करने में Completely Helpful है। साथ ही यह भी बताया गया है कि Success की सीढियों पर चढते चढते कैसी बाधाएं आपके पथ में आएंगी और आपकों किस तरह उन्हें Treat करना है। तो लीजिए यह Hindi Poem आपके लिए-


शीर्षक- फिर बसंत आना है


तूफ़ानी लहरें हों
अम्बर के पहरे हों
पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों
सागर के माँझी मत मन को तू हारना
जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है
Ram Lakhara Vipulपतझर का मतलब है फिर बसंत आना है 

राजवंश रूठे तो
राजमुकुट टूटे तो
सीतापति.राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार, पार सागर के एक बार
पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है 

घर भर चाहे छोड़े
सूरज भी मुँह मोड़े
विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े
माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे
पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है - Dr. Kumar Vishwas कुमार विश्वास


तो दोस्तों कैसी लगी यह कविता? पिछली बार की डाॅ कुमार विश्वास की प्रेरणादायी शायरी Post की तरह इस बार भी मुझे अपने Comments के माध्यम से जरूर बताएं। मुझे इंतजार रहेगा।

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Wednesday, 7 September 2016

ऊपर चढना है तो झुकना पड़ेगा | Prerna dayak Hindi Kahani


राजस्थान का एक कस्बा है सिवाना। यह धार्मिक नगरी होने के साथ साथ पर्वतीय इलाका है।

उसी कस्बे में मनोहर नाम का एक विद्वान व्यक्ति रहता था। मनोहर कोई एलएलबी, बीए, एमए, एमबीए नहीं था, उसने जीवनं की पाठशाला से अनुभव की वर्णमाला सीखी थी। मनोहर की उम्र 55 वर्ष थी और उसका एक 21 वर्षीय बेटा था विकास।
विकास को भगवान का एक गिफ्ट मिला हुआ था- आवाज।

उसकी आवाज इतनी मधुर थी कि पिछले दो वर्षों में ही उसने अपने आसपास के लोगो के दिलों में गहरी जगह बना ली थी। विकास की गायिकी का नशा दिन ब दिन लोगों के दिलों पर छाता जा रहा था लेकिन इसके साथ एक और चीज बढ रही थी वह था विकास का घमंड।

विकास जिस तेजी से सफलता पर पहुंचा उसकी दुगुनी तेजी से नीचे धरातल पर आ गया। विकास के रवैये ने अपने साथ काम करने वाले लोगों का भरोसा खो दिया था।
Prernadayak vichar


अचानक से विफलता ने विकास को काफी हद तक निराश कर दिया था। विकास अपनी नाकामियों की वजह नहीं ढूंढ पा रहा था। उसे यह पता नहीं चल रहा था कि आखिर क्या गलत हो रहा है।

विकास की इस उदासी को उसके पिता मनोहर ने समझा।

एक दिन मनोहर अपने बेटे विकास को एक पहाड़ के पास ले गया और विकास को पहाड़ पर अपने साथ चढने के लिए कहा।

मनोहर और विकास दोनो पिता पुत्र पहाड़ पर चढने लगे। पहाड़ पर चढाई करने के लिए विकास ने अपने आप को झुका लिया और तेजी से ऊपर की ओर चढने लगा।

आधी दूरी तय करने के बाद मनोहर ने अपने बेटे विकास को रोका और कहा कि 'आधी दूरी तो तुम झुक कर चले हो, अब अगली आधी दूरी तक तुम अपने शरीर को तान कर चलो। झुकना बिल्कुल मत।'

विकास ने अपने पिता के कहे अनुसार चढना शुरू किया लेकिन उसे शरीर तान कर चलने में परेशानी होने लगी।
दो तीन कदम बढाते ही वह पीछे की ओर गिरने लगा।

मनोहर ने विकास का हाथ पकड़ा और गिरने से बचा लिया।

विकास ने अपने पिता से कहा कि 'शरीर को तान कर वह ऊपर की ओर नहीं चढ पाएगा, झुक कर ही इस पहाड़ की चढाई संभव है। '

इतना कहते ही मनोहर ने अपने बेटे विकास का हाथ पकड़ा और कहा कि 'विकास! जीवन ऐसा ही है।'

अगर तुम्हें सफलता के पहाड़ पर चढना है तो झुक कर चढना होगा न कि तन कर। यह तुम्हारे लिए सीख है।

तुम सोचते हो न कि मैं क्यों इतनी जल्दी असफल हो गया? इसका कारण यही है कि तुम में अहंकार आ गया था। तुम इसे अपनी व्यक्तिगत कामयाबी मानकर मन ही मन तन कर खड़े थे जबकि तुम्हें झुकना था। सफलता के पहाड़ पर चढते समय भी झुक कर चढना पड़ता है। झुकने का मतलब अपने आपको सौम्य, अनुशासित और कृतज्ञ बनाए रखना। 
किसी भी व्यक्ति की सफलता उसकी व्यक्तिगत सफलता नहीं होती, उसके कुछ सहयोगी कारक होते है। तुम्हें उन लोगों के प्रति हमेंशा कृतज्ञ और सरल रहना होगा जिनकी बदौलत तुम सफलता के शिखर की ओर बढ रहे हो।
याद रहे जो झुक कर चल रहा है इसका अर्थ है कि वह ऊपर चढ रहा है और जो तन कर चल रहा है इसका मतलब कि वह जल्दी ही नीचे गिरने वाला है।

विकास अपने पिता की बात समझ गया था, उसे अपनी नाकामयाबी की असली वजह पता चल गई थी।

दोस्तों यह सीख हम सबके लिए भी है। हम अपनी कामयाबी से इतने प्रसन्न हो जाते है कि हम इसे अपने व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम मानते है जबकि किसी भी व्यक्ति की सफलता में उसके कुछ सहयोगी भी होते है। मान लीजिए कोई गायक है और वह प्रसिद्ध है तो उस गायक के साथ उन तबला वादकों, ढोलक वादकों, गीतकारों, श्रोताओं आदि का सहयोग रहा है तभी वह इतना आगे बढ सका है। कोई भी बाॅलीवुड एक्टर बड़ा तब होता है जब उसकी फिल्म हिट हो, लेकिन फिल्म हिट कौन करवाता है स्क्रिप्ट राईटर, निर्देशक, प्रोड्युसर, गीतकार, स्पाॅट ब्वाॅय, संगीतज्ञ और सबसे बड़े दर्शक आदि आदि।


इसलिए हम आगे बढना चाहते है या फिर आगे बढ रहे है तो सबसे पहले हमें अपने आस पास के लोगों और चीजों के प्रति कृतज्ञ (किसी का उपकार मानना और जताना) हो ना पड़ेगा। मैं तो अपने पेन, कम्प्यूटर, खिड़की, कागज, शरीर तक को कृतज्ञता दर्शाता हूं।

तो दोस्तों कैसी लगी ये Story!!! है ना वास्तव में Inspirational और Helpful! Inspirational Articles, Poems and Quotes के साथ साथ ऐसी ही Inspirational Stories मैं आपके लिए लाता रहूंगा। बस अपने Valuable Comments के माध्यम से मुझे जरूर बताईएगा कि यह पोस्ट आपकों कैसी लगी? मुझे इंतजार रहेगा........

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Sunday, 31 July 2016

शेर की जंग और Leadership के 9 सबक

Hiii Friends!!

Stories हमें बहुत कुछ सिखाती है। हर कहानी का अपना lesson होता है। 

आज मैं आपके लिए एक कहानी Cum लेख लेकर आया हूं। यह Story क्या सिखाती है? यह आपकों पूरी कहानी पढने के बाद जरूर पता चल जाएगा। 

तो चलिए शुरू करते है-

हिमाचल के पहाड़ों में एक घना जंगल था। उस जंगल का राजा एक शेर था। शेर अपनी पत्नी शेरनी और दो शावकों के साथ जंगल में रहकर राज करता था। शेर के राज में पूरे जंगल में मंगल था। जंगल के सभी प्राणी खुशी खुशी और निर्भय होकर विचरण करते थे। अपने बलशाली राजा शेर के संरक्षण में उन्हें कोई भय नहीं था, जंगल  में प्रवेश करने वाले किसी भी दूसरे शक्तिशाली और खूंखार जानवर को शेर पटखनी देकर मार डालता था। 
राजा शेर का पूरा मंत्रिमंडल था जिसमें भालू, जिराफ, तेंदुआ, हाथी, बाघ से लेकर खरगोश तक के जानवर शामिल थे। 
एक बार जंगल में कुछ शिकारियों ने प्रवेश किया। शिकारियों को यह खबर थी कि जंगल में शेर और उसका परिवार है जिनकों मारकर उनकी खाल से खूब माल कमाया जा सकता है।

जंगल में शिकारियों के प्रवेश की सूचना गुप्तचर सियार ने राजा शेर को दी। 

शिकारी दल के प्रवेश की खबर सुनकर महामंत्री भालू ने राजा शेर को परिवार सहित कुछ दिनों के लिए पहाड़ की चोटी पर बनी गुफा में जाने की सलाह दी और कहा कि उन शिकारियों के झुंड से हम सब निपट लेंगे।

अपने महामंत्री के मुख से ऐसी बाते सुनकर शेर ने असहमति में सिर हिलाते हुए कह दिया कि शिकारियों के झुंड से वह खुद निपटेगा। शेर को आगे बढता देखकर पूरे मंत्रिमंडल और जंगल वासियों में अद्भुत हौंसला आ गया।

सेनापति बाघ ने राजा शेर को सलाह दी कि शिकारी जंगल में घुसे उससे पहले ही हम उन पर हमला कर देते है, जिससे वे लोग भाग जाएंगे। शेर को यह सलाह पसंद नहीं आई, वह किसी जल्दबाजी में नहीं था। फिर भी बाघ की सलाह को मानते हुए उसमें जरूरी सुधार के साथ शेर ने कहा कि हम हमला करेंगे लेकिन अभी नहीं, थोड़ी देर बाद पूरे योजनाबद्ध तरीके से।
Ram Lakhara Vipul

शेर ने अपने मंत्रियों के साथ गुप्त मंत्रणा की, शिकारियों से निपटने के तरीकों पर सबकी सलाह को ध्यान से सुना। अंत में शेर ने सबकी सलाह को उत्कृष्ट बताते हुए पूरी योजना को सबके सामने प्रस्तुत किया। शेर की योजना सुनकर पूरा मंत्रिमंडल उनसे सहमत हो गया।

अपनी योजना के अनुसार शेर ने पहली चाल चली, जंगल की सभी मधुमक्खियों को उसने बुलावा भेजा। 

कुछ ही देर में जंगल की सारी मधुमक्खियां इकट्ठी हो गई। शेर ने उनकों शिकारियों के झुंड को घायल करने का आदेश दिया। अपने राजा का आदेश पाकर मधुमक्खियों का दल शिकारियों पर टूट पड़ा। अचानक हुए हमले से शिकारी इधर उधर भागने लगे। मधुमक्खियों के काटने से शिकारी घायल हो गए थे। 

मधुमक्खियों से बचने के लिए शिकारियेां के दिमाग में एक उपाय सूझा। 

वे सब पानी के तालाब की ओर भागे, जिसमें डूबकी लगाकर वे उनसे तुरंत रूप से बच सके। तालाब से कुछ दूरी पर ही शिकारियेां के पांव अचानक ठिठक गए, उन्होंने देखा कि बहुत सारे मगरमच्छ तालाब के किनारे पर इधर उधर घूम रहे थे। 

अपने आंखों के सामने मौत खड़ी देखकर शिकारी उल्टे पांव वापस भागे। लेकिन तब तक मधुमक्खियेां ने उन्हें काफी घायल कर दिया था, आंखो पर काटने से सबकी आंखे सूज गई थी। शिकारियों ने शिकार की इच्छा छोड़कर वापस सही सलामत घर लौटने में भलाई समझी। 

लेकिन तभी बीच में शेर की सेना ने बाघ की अगुवाई में हमला बोल दिया। 

आंखों में दर्द और थकान की वजह से वे ज्यादा भाग नहीं सके और सभी शिकारी खुद ही शेर की सेना का शिकार हो गए। 

अपने राजा शेर की सूझबूझ से पूरा जंगल बच गया था, सभी ने अपने राजा की शान में जयकार की।

यह कहानी इतनी ही नहीं है। इसके भीतर ऐसे कई बिंदु आ गए है जिन्हें शायद हम पढते समय नजरअंदाज कर गए होंगे। यह कहानी नेतृत्व कैसे किया जाता है यह दर्शाती है। इस कहानी से नेतृत्व संबंधी क्या सीखा जा सकता है इसके बिंदुओं पर एक बार गौर करते है-

1. संयम और निस्स्वार्थता -  


सबसे पहली बात यह कि शेर खुद मांसाहारी होते हुए भी उसके राज में सभी जानवर खुशी से रहते थे। इसका मतलब यह तो कभी नहीं होगा कि शेर का पूरा परिवार शाकाहारी होगा। यह सच है कि शेर ने अपने परिवार के भोजन के लिए जानवरों का शिकार किया होगा लेकिन जरूरत के मुताबिक। जिससे पूरे जंगल ने शेर की जरूरत को समझा। इसी प्रकार एक नेता की जरूरते उसके अनुयायी समझते है लेकिन तब तक ही जब तक नेता का आचरण संयमित हो।

2. किसी भी Problem में खुद को आगे रखना - 


किसी भी बाहरी खूंखार जानवर से राजा शेर खुद भिड़ता था। किसी भी समस्या से खुद जाकर पहले रूबरू होना एक सच्चे नेता की निशानी है।

3. Simplicity और आगे बढकर चुनौती लेना- 


जंगल में शिकारियेां के प्रवेश पर अपने महामंत्री की जंगल छोड़कर गुफा में जाने की सलाह को राजा ने विनम्रता पूर्वक नहीं माना, बल्कि खुद उनसे लड़ने का निश्चय किया। संकट के समय मैदान नहीं छोड़ने का गुण किसी भी नेता की स्वीकार्यता को और बढा देता है। 

4. जल्दबाजी से काम न लेना - 


अपने सेनापति बाघ की तुरंत हमला कर देने की सलाह को शेर ने अस्वीकार कर दिया। किसी भी विपत्ति के आने पर बिना योजना के उससे दो चार होना अधिकांश रूप से असफलता का कारण बनता है

5. सबका विश्वास प्राप्त कर Successful Plan बनाना - 


बाघ की सलाह को न मानने के बाद भी बाघ की सलाह और अन्य जानवरों की सलाह को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर उसमें फेरबदल के साथ अपनी योजना बनायी।
सुनो सबकी करो मन की!! एक नेता को चाहिए कि वह सबकी सलाह को सुने, उस सलाह का मान करे और आवश्यकतानुसार उसमें Correction कर अपनी योजना बनाए साथ ही उस योजना को प्रस्तुत करते समय यह दर्शाने की पुरजोर कोशिश करे कि सबकी सलाह से ही ऐसी उत्कृष्ट योजना बन पाई है। इससे अपने अनुयायियों की नजरों में Leader का कद बढता ही है।

(Read- कैसे प्राप्त करे लक्ष्य? How to achieve goal in hindi )

6. अपने हितैषियों (Well Wishers) की चिंता करना - 


शेर ने तुरंत अपनी सेना को न भेजकर मधुमक्खियों को पहले भेजा। क्योंकि एक नेता के तौर पर शेर अपने किसी प्रिय को नहीं खोना चाहते थे। (Read - दूसरों का ख्याल रखों - वह आपका हो जाएगा) शेर को भलीभांति पता था कि शिकारियों के पास बंदूके थी, यदि पहला हमला जानवर करेंगे तो हो सकता है कि शिकारियों की गोली से कई जानवर मर जाए।
इसलिए शेर ने उत्कृष्ट उपाय सोचते हुए मधुमक्खियों को पहले हमला करने के लिए कहा, शेर को पता था कि मधुमक्खियों से निपटने के लिए शिकारियों के पास कोई हथियार नहीं होगा।

7. दूरदर्शिता- 


तालाब के किनारों पर मगरमच्छों का घूमना भी शेर की योजना का हिस्सा था। शेर ने दूरदर्शिता दिखाते हुए सोचा था कि शिकारी तालाब की ओर जरूर भागेंगे, इसलिए उसने पहले ही मगरमच्छों को तालाब के किनारों पर खड़ा कर दिया था।

8. उचित समय पर उचित कार्यवाही (Right Time - Right Action)-


 इधर उधर भागकर जब शिकारी पूरे थक गए, तब शेर ने अपनी सेना को हमला करने का आदेश दिया और शिकारियों को मौत की नींद सुला दिया। शेर को यह ज्ञात था कि इस स्थिति में शिकारी बंदूक नहीं चला पाएंगे।


9. इस कहानी में यह भी है कि शेर अगर चाहता तो मगरमच्छों को तालाब में छिपकर शिकारियों को मारने का आदेश भी दे सकता था, लेकिन अपनी सेना के मनोबल को बढाने के लिए शेर ने शिकारियों को डराने के लिए मगरमच्छों को तालाब के किनारे पर खड़ा किया और अपने शत्रुओं का खत्मा खुद किया

यह कहानी हमको एक Leader के तौर पर लड़ना सिखाती है। इस कहानी को आप खुद पढे, समझे। अपने बच्चों, विद्यार्थियों, छोटे भाई बहनों को यह कहानी सुनाए और उन्हें Leadership की विशेषताओं का ज्ञान कराएं।

तो दोस्तों कैसी लगी ये Story!!! है ना वास्तव में Inspirational और Helpful! Inspirational Articles, Poems and Quotes के साथ साथ ऐसी ही Inspirational Stories मैं आपके लिए लाता रहूंगा। बस अपने Valuable Comments के माध्यम से मुझे जरूर बताईएगा कि यह पोस्ट आपकों कैसी लगी? मुझे इंतजार रहेगा........

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Wednesday, 27 July 2016

एक कविता जो हमेशा हौसला देगी / Inspirational Poem

दोस्तों Poems में अद्भुत शक्ति होती है। जो काम एक Book नहीं करती वह काम महज एक कविता कर देती है। यूं तो हिन्दी साहित्य (Hindi Literature) काफी समृद्ध है, उसकी परम्परा, रीति, सौंदर्य, शास्त्र बहुत पुराना है।

इसी कड़ी में पहले हमने डाॅ. कुमार विश्वास की कुछ प्रेरणादायक शायरियां पढी थी, अब मैं आपके लिए एक ऐसी कविता लाया हूं जो हमेशा हौसला देगी, जो मुर्दे में भी जान डालने वाली ताकत रखती है।

इसकी हर एक पंक्ति, हर एक शब्द और उसके पीछें छुपे भाव को एक बार मन में सोचे तो आप पाएंगे कि कविता को पढने से पहले आप कुछ और थे और बाद में कुछ और।

यह कविता सदी के महानतम कवियों में से एक पद्म भूषण श्री गोपालदास नीरज की कविता है।

Inspirational Quotes
Gopal Das Neeraj
नाम - गोपाल दास ‘नीरज‘

(Wikipedia - Gopal Das Neeraj)

जन्मकाल- 4 जनवरी 1925 से अब तक (जीवित)

ग्राम- पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश।

विशेष- गत 50 वर्षों से काव्य मंचों पर सक्रिय कविता पाठ। नीरज 20th सदी के प्रसिद्ध और सफलतम मंचीय कवियों में से एक माने जाते है।
बाॅलीवुड के कई शानदार नगमें गोपाल दास नीरज की देन है। इनमें कारवां गुजर गया, लिखे जो खत तुझे, ए भाई जरा देख के चलो, यही अपराध हर बार करता हूं, काल का पहिया घूमे रे भईया काफी लोकप्रिय नगमें है। नीरज की 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।

पुरस्कार- गोपालदास नीरज को पद्मश्री, पद्मभूषण, यशभारती समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हो चुके है।


तो आईए आपको ज्यादा इंतजार न करवाते हुए उस कविता का दीदार करवाते है। इस कविता का शीर्षक है -

छिप छिप अश्रु बहाने वालों


छिप-छिप अश्रु बहाने वालों!
मोती व्यर्थ लुटाने वालों!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

सपना क्या है? नयन सेज पर,
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों,
जागे कच्ची नींद जवानी,
गीली उमर बनाने वालों! डूबे बिना नहाने वालों!
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

माला बिखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गई समस्या,
आँसू गर नीलाम हुए तो,
समझो पूरी हुई तपस्या,
रूठे दिवस मनाने वालों! फटी क़मीज़ सिलाने वालों!
कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर,
केवल जिल्द बदलती पोथी।
जैसे रात उतार चाँदनी,
पहने सुबह धूप की धोती,
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार कश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गंध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है! - श्री गोपालदास नीरज Shree Gopal Das Neeraj


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