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Wednesday 22 July 2015

डरना नहीं लड़ना सिखाए Motivational Article in Hindi

Motivational Article in Hindi


आप जानते है क्या? जो हम आज है वह कैसे बने? इसकी शुरूआत कैसे हुई?
राजस्थान में एक कहावत है छोटा बच्चा जो देखेगा वह सीखेगा। यह कहावत अनुभव से उपजी है और एकदम सत्य कहावत है जिसमें हम सबके लिए बड़ा सबक है।
हम में से किसी ने भूत नहीं देखा? किसी ने God को नहीं देखा? फिर भी इन दोनों के अस्तित्व को हम स्वीकारते आ रहे है।

एक बात गौर कीजिएगा भूत और भगवान दोनों का प्रभाव हमारे बचपन में ही पैदा कर दिया जाता है जिसका  Result यह होता है कि ताउम्र हम उसी प्रभाव के अधीन अपने कार्य करते रहते है।
जैसे कि एक मां जब अपने बच्चें को सुलाने की कोशिश करती है और वह बच्चा नहीं सोता है। तो उस बच्चें की मां उसे डराती है और कहती है कि चुपचाप सो जाओं नहीं तो भूत आकर ले जाएगा। साथ ही साथ भूत की छवि भी उस बच्चे के दिमाग में तैयार कर दी जाती है। उसी तरह हम बचपन से अपने माता पिता कों भगवान की पूजा करते हुए, उनसे विनती करते हुए , उनसे इच्छा पूर्ति के निवेदन करते हुए देखते है और इस तरह हमारा विश्वास भी धीरे धीरे भगवान में अटल हो जाता है।

ठीक इसी तरह हम परेशानियों से कैसे निबटते है, उनका सामना कैसे करते है, Tension को कितना अपने पास आने देते है यह सब बाते भी हमें बचपन से ही सीखने को मिल जाती है। जैसा कि आप जानते अपने माता पिता से ही मुख्यतः हम यह बात सीखते है।
बालक का मन बहुत कोमल होता है। एक छोटा बच्चा इस बात पर अवश्य गौर करता है कि किसी बड़ी परेशानी में फंस जाने पर उसके पिता उससे डर जाते है या भिड़ जाते है?

दोनों ही परिस्थितियों में बच्चा सीखेगा लेकिन डरना या लड़ना? यह आपके हाथ में है। आज का यह लेख मुख्यतः उन लोगों के लिए है जिनके बच्चे है, लेकिन यह साथ ही कुंवारे लोगों के लिए भी फायदेमंद है कैसे यह आपकों पूरा लेख पढने पर समझ आ जाएगा। इससे आपके मन में चेतना जागृत होगी कि भविष्य में अपने बच्चें के सामने कैसा व्यवहार करना चाहिए? इसके कुछ मुख्य बिंदु निम्न है-

1.     सहज रहे-  पूरी कोशिश करे कि अपने बच्चों के सामने किसी भी बड़ी मुसीबत के समय Normal रहे। मजबूत बने रहे। उन्हें यह लगना चाहिए कि उनके पापा एक बहादुर इंसान है और बड़े होकर वे भी अपने पापा की तरह बनना चाहेंगे। अपने बच्चों के सामने यह बात पेश करने की कोशिश करे कि मुसीबत जटिल भले ही है लेकिन इंसान के हौसलें से बढकर नहीं है।

2.     चिंता को पास न फटकने दे-  सहज रहना तभी संभव है जब आप चिंता को अपने पास नहीं आने देंगे। अपने बच्चों को यह संदेश दे कि किसी भी मुसीबत के समय Tension न करे। उन्हें यह सीखाएं मुसीबत तो पल दो पल की है लेकिन चिंता का रोग जब एक बार लग जाता है तो उम्र भर पीछा नहीं छोड़ता। और चिंता मुक्त Tension Free रहकर ही किसी समस्या Problem को सुलझाया जा सकता है। Be Positive.

3.     हिम्मत न हारे- किसी भी संकट को एक बार में समाप्त नहीं किया जा सकता है, हो सकता है कई बार अधिक प्रयत्न करने पड़ जाते है। ऐसे में अपने बच्चों में यह बात फैलने दे कि बार बार लड़ने से ही जीत संभव है। Never Give Up. उन्हें यह सीखाए हारना खेल का हिस्सा है लेकिनमैदान में उतरों तो सिर्फ जीतके लिए

4.     उलझ कर न रह जाए- जब हम गहरे संकट में फंस जाए तो सिर्फ उसमें ही उलझ कर न रह जाए, यह कोशिश भी हमें करनी चाहिए। अपने परिवार को भी पर्याप्त समय दे, दूसरे कार्याे में भी मन लगा रहे। यह बाते भी बच्चों को भविष्य में प्रभावित करती है।

5.     जीवन आनंद- अपने बच्चों के साथ समय बिताये। उन्हे घुमाने ले जाए। उनके सामने यह मिसाल प्रस्तुत करे कि Life सिर्फ लड़ने का नाम ही नहीं है, वह आनंद का स्रोत भी है। और इस आनंद के स्रोत से जितना Enjoy लिया जाए उतना कम है। इसलिए जीवन को जिए, गुजारे नहीं

Live the life, Don't pass it.

उपर्युक्त बाते पढ़कर हमें यह लगता है कि इसमें अपने बच्चों के जीवन निर्माण हेतु हमारे द्वारा किये जाने वाले प्रयासों की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है। मैं इस बात को मानता हूं, पर यह आधा सत्य है। पूर्ण सत्य यह है कि उपरोक्त बातों को अपनाते हुए अपने बच्चों के सामने आदर्श प्रस्तुत करते करते हम खुद एक अच्छे इंसान बनने की राह पर चल पड़ते है। इसमें दुगुना फायदा है आपका भी और आपके बच्चों का भी। कोशिश करे. मैं जानता हूँ यह सम्भव है। 

Written By- RamLakhara

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