दोस्तों Poems में अद्भुत शक्ति होती है। जो काम एक Book नहीं करती वह काम महज एक कविता कर देती है। यूं तो हिन्दी साहित्य (Hindi Literature) काफी समृद्ध है, उसकी परम्परा, रीति, सौंदर्य, शास्त्र बहुत पुराना है।
इसी कड़ी में पहले हमने डाॅ. कुमार विश्वास की कुछ प्रेरणादायक शायरियां पढी थी, अब मैं आपके लिए एक ऐसी कविता लाया हूं जो हमेशा हौसला देगी, जो मुर्दे में भी जान डालने वाली ताकत रखती है।
इसकी हर एक पंक्ति, हर एक शब्द और उसके पीछें छुपे भाव को एक बार मन में सोचे तो आप पाएंगे कि कविता को पढने से पहले आप कुछ और थे और बाद में कुछ और।
यह कविता सदी के महानतम कवियों में से एक पद्म भूषण श्री गोपालदास नीरज की कविता है।
Gopal Das Neeraj |
नाम - गोपाल दास ‘नीरज‘
(Wikipedia - Gopal Das Neeraj)
जन्मकाल- 4 जनवरी 1925 से अब तक (जीवित)
ग्राम- पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश।
विशेष- गत 50 वर्षों से काव्य मंचों पर सक्रिय कविता पाठ। नीरज 20th सदी के प्रसिद्ध और सफलतम मंचीय कवियों में से एक माने जाते है।
बाॅलीवुड के कई शानदार नगमें गोपाल दास नीरज की देन है। इनमें कारवां गुजर गया, लिखे जो खत तुझे, ए भाई जरा देख के चलो, यही अपराध हर बार करता हूं, काल का पहिया घूमे रे भईया काफी लोकप्रिय नगमें है। नीरज की 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।
बाॅलीवुड के कई शानदार नगमें गोपाल दास नीरज की देन है। इनमें कारवां गुजर गया, लिखे जो खत तुझे, ए भाई जरा देख के चलो, यही अपराध हर बार करता हूं, काल का पहिया घूमे रे भईया काफी लोकप्रिय नगमें है। नीरज की 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।
पुरस्कार- गोपालदास नीरज को पद्मश्री, पद्मभूषण, यशभारती समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हो चुके है।
तो आईए आपको ज्यादा इंतजार न करवाते हुए उस कविता का दीदार करवाते है। इस कविता का शीर्षक है -
छिप छिप अश्रु बहाने वालों
मोती व्यर्थ लुटाने वालों!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है? नयन सेज पर,
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों,
जागे कच्ची नींद जवानी,
गीली उमर बनाने वालों! डूबे बिना नहाने वालों!
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गई समस्या,
आँसू गर नीलाम हुए तो,
समझो पूरी हुई तपस्या,
रूठे दिवस मनाने वालों! फटी क़मीज़ सिलाने वालों!
कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर,
केवल जिल्द बदलती पोथी।
जैसे रात उतार चाँदनी,
पहने सुबह धूप की धोती,
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार कश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गंध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है! - श्री गोपालदास नीरज Shree Gopal Das Neeraj
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तो दोस्तों Comments के माध्यम से मुझे जरूर बताईएगा कि ऐसी कविता जो हमेशा हौसला देगी / Inspirational Poem Hindi पोस्ट आपकों कैसी लगी? मुझे इंतजार रहेगा........
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OK! Good Bye and Take Care!!!!!
Wow! such a nice and motivational poem. Neeraj ji is my favorite. Thans Ram! Keep Blogging.
ReplyDeleteShukriya Sandeep ji. Prerndayak vichar padhne ke liye blog par aate rahe and keep commenting. Thanks!!
DeleteWow Mai bhi kavitaen likhti hun isse bhut sikhne ko Mila dhanywad
ReplyDeleteये जो जिन्दगी का कैनवास है इसमें लिखने को कितना कुछ बांकी है लिखो जो तुमको लिखना है
Deleteजिगर में हौसला सीने में जान बाकी है
अभी छूने के लिए आसमान बाकी है
हारकर बीच में मंज़िल के बैठने वालों
अभी तो और सख़्त इम्तहान बाकी है
कौन-सी राह जो आसान हो नहीं जाती
यकीन दिल में अगर इत्मीनान बाकी है
रात के बाद ही सूरज दिखाई देता है
मगर रुको तो सुबह की अज़ान बाकी है
मुझे तो इस क़दर अपनों ने ही सताया है
ज़ख़्म का अब तलक दिल पर निशान बाकी है
हो गईं किसलिए खामोश बिजलियाँ गिरकर
शहर में जब अभी मेरा मकान बाकी है
कहर का ख़ौफ़ नहीं है न फ़िक्र तूफाँ की
क्योंकि मुझ पर मेरे मालिक की शान बाकी है
रास्ते बंद हैं गुलशन के, तो गिला कैसा
सबा के वास्ते सारा जहान बाकी है
बंद पिंजरे के परिंदों को पता क्या होगा
आसमाँ के लिए कितनी उड़ान बाकी है!
nice
Deleteहौसला बढ़ानेवाली, सकात्मकता की प्रेरणा देने वाली रचना है ये।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद..
अद्भुत कविता एवं शानदार प्रयास के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteइस अद्भुत एवं चमत्कारिक कविता का बहुत सुंदर वर्णन के लिए बहुतबहुत आभार
ReplyDeleteBahut hi achchhi kavita
ReplyDeleteEk bar meri kavita bi padh kr kuchh margdarsan kre
Bahut hi achchhi kavita
ReplyDeleteEk bar meri kavita bi padh kr kuchh margdarsan kre
https://www.kavyanjali.net/?m=1
Thank you for sharing the information......
ReplyDeleteVijit Singh
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