Easy way to achieve a goal
दोस्तों हम सबके जीवन का एक लक्ष्य (Goal) होता है। कोई प्रसिद्धि पाना चाहता है तो कोई पैसे। ज्यादातर इन दोनों को एक ही साथ पाना चाहते है। जब हम कुछ जीवन में बनने की ठान लेते है तो हम अपने लक्ष्य का निर्धारण कर चुके होते है। कोई भी लक्ष्य हमारे साहस से उपर नहीं होता है,
इसिलिए Dr. APJ Abdul Kalam कहा करते थे कि इंसान को अपने सपनों का दायरा बड़ा रखना चाहिए और ऐसे बड़े से बड़े सपने देखने चाहिए जिन्हें हकीकत के धरातल पर पूरा किया जा सकना संभव हो।
इसिलिए Dr. APJ Abdul Kalam कहा करते थे कि इंसान को अपने सपनों का दायरा बड़ा रखना चाहिए और ऐसे बड़े से बड़े सपने देखने चाहिए जिन्हें हकीकत के धरातल पर पूरा किया जा सकना संभव हो।
चूंकि हम सब अपनी Study या Job के दौरान अपने जीवन के सपने तय करते है और उनकी ओर कदम बढ़ाना शुरू करते है। सवाल हम सबके मन में यह उठता है कि आखिर लक्ष्य तक पहुंचे कैसे?
पहले हम एक कहानी पढ़ते है जिसमें इस प्रश्न का उत्तर भी है-
आज से लगभग 200 बरस पहले एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता एक बड़े साम्राज्य के सम्राट द्वारा आयोजित की गई थी। प्रतियोंगिता में सिर्फ दो लोगों को भाग लेना था, लेकिन हजारों की संख्या में इसके लिए आवेदन आए थे। राजा के मंत्रिमंडल ने उन हजारों युवकों में से अंतिम पड़ाव के लिए दों ऐसे ऊर्जावान और बलवान युवकों को चुना जो प्रतियोंगिता में एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे सकते थे। प्रतियोंगिता का भव्य आयोजन किया गया, और यह सारा आयोजन एक 1500 मीटर उंची पर्वत चोटी के समीप किया गया था। प्रतियोगिता में क्या करना था? यह गुप्त रखा गया था। नियत दिन पर लोग हजारों की संख्या में इस प्रतियोगिता को देखने के लिए पर्वत के समीप एकत्र हुए। प्रतियोगिता में जीतने वालें को उस साम्राज्य का राजस्व अधिकारी ( Revenue Officer ) का पद देना निश्चित किया गया था, जो कि उस साम्राज्य में बहुत ही रूतबे वाला पद था। दोनों युवक प्रतियोगिता के मैदान में आ गए। राजस्व अधिकारी का पद प्राप्त करने के लिए दोनों जीतना चाहते थे। सम्राट के आते ही प्रतियोगिता का शुभारंभ किया गया। साम्राज्य के प्रधानमंत्री ने प्रतियोगिता का विषय बताते हुए उन दोनों युवकों से कहा कि तुम दोनों में से जो भी इस विशाल पर्वत (1500 मीटर) के शिखर पर सबसे पहले पहुंचेगा, उसे विजयी घोषित किया जाएगा। दोनों युवकों ने पर्वत की उस चोटी तक पहुंचने को अपना लक्ष्य बनाया। क्योंकि दोनों को शिखर पर पहुंचने के बाद वह सब मिलने वाला था जिसके लिए उन्होंने मेहनत की थी। दोनों युवक तेजी से चढें, लेकिन पहला युवक थोड़ी देर चढ़ने के बाद रूका जबकि दूसरा युवक तेजी से चढ़ता गया। इस तरह पहला युवक एक नियत दूरी तय करते करते पांच बार रूकते हुए चोटी के आधें भाग तक पहुच गया जबकि दूसरा युवक तेजी से चढ़ते हुए पहले युवक से कहीं ज्यादा आगे निकल गया। सारी जनता दूसरे युवक के समर्थन में नारे लगाने लगी, क्योंकि उन्हें दूसरे युवक की विजय सुनिश्चित दिखाई दे रही थी। इसी तरह वह दूसरा युवक दो तिहाई चोटी तक पहुंचकर बहुत थक गया, और उपर जाने की उसमें अब हिम्मत नहीं थी फिर भी वह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता रहा। जबकि पहला युवक पूर्व की भांति एक नियत दूरी तय करते करते बीच बीच में रूकता रहा , और बिना थके अंत में दूसरे युवक को पीछे छोड़कर पर्वत की चोटी पर पहुंच कर विजयी हो गया। सारी जनता जो दूसरे युवक की जय जय कर रही थी अचानक ही पहले वाले युवक के विजेता बनते ही उसकी जय जयकार करने लगी।
विजेता युवक को सम्राट की तरफ से पुरस्कार और राजस्व अधिकारी का पद दिया गया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद हारा हुआ युवक उस विजेता के पास आया और बोला कि 'तुम जिस तरह से चढ रहे थे, उससे तो ऐसा लग रहा था कि कल शाम तक भी चोटी के शिखर तक नहीं पहुंच पाओंगे, जबकि तुम मुझसे पहले जाकर इस विशाल उंची चोटी के शिखर तक पहुंच गए। आाखिर कैसे?'
तब विजेता युवक ने मुस्कुराते हुए उस युवक से एक प्रश्न पूछा कि 'मित्र तुम मुझे यह बताओं कि तुमने चोटी के शिखर पर पहुंचने के लिए क्या योजना बनाई थी?'
हारे हुए युवक ने कहा कि 'मैंने शिखर की उस चोटी को अपना लक्ष्य बनाया और सीधे सीधे चढ़ता गया।'
तब विजेता युवक बोला कि 'मित्र तब तो तुम उसी वक्त हार गए थे, जब तुमने यह योजना बनाई थी।'
यह सुनकर हारे युवक ने उसकी बात का कारण पूछा तब विजेता युवक ने कहा कि 'तुमने सीधे उस चोटी को अपना लक्ष्य बनाया और बिना किसी योजना के सीधे चल पड़े। ऐसे में यह बात तय थी कि तुम आधें या दो तिहाई रास्ते को पार कर के थक जाओगे। मैने जिस योजना को अमल में लाया अब उसे ध्यान से सुनो। मैंने सर्वप्रथम पर्वत की उस चोटी को अपना लक्ष्य बनाया। तथा मन ही मन उस चोटी के बीच में पड़ने वाले दस ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जहां मुझे बीच बीच में रूकना था। इस तरह जब मैंने चढना शुरू किया तो अपने मुख्य लक्ष्य को दस छोटे लक्ष्यों में बांट दिया। और हर बार एक जगह पर पहुंच कर मैंने वहा थोड़ा विश्राम किया फिर दुगुनी ऊर्जा और योजना के साथ दूसरें जगह तक की चढाई आरंभ की। इस तरह मैं हर दसों जगहों को लक्ष्य बनाता बनाता अपने मुख्य लक्ष्य पर्वत की चोटी तक पहुंच गया वो भी बिना थके।'
हारे हुए युवक ने इस योजना पर आश्चर्यचकित होते हुए पूछा कि 'तुम्हें इस बात से निराशा नहीं हुई कि सारी जनता तुम्हारी नहीं बल्कि मेरी हौसला अफजाई कर रहीं थी।'
यह सुनकर विजेता युवक बोला- 'मुझे इस बात से और ज्यादा प्रेरणा मिली कि चाहे कुछ हो भी मैं जनता से अपनी जय जयकार करवा के दम लूंगा और इस तरह मैं तुम्हारी जय जयकार पर ध्यान दिए बिना अपनी योजनानुसार आगे बढता रहा और विजयी रहा।'
दोस्तों यह कहानी हमारे लिए भी इतनी ही उपयोगी है। हम अक्सर बड़े लक्ष्य निर्धारित करते है, लेकिन इन लक्ष्यों को पूरा करने का तरीका पता नहीं होता है। इसके लिए हम कुछ उपाय कर सकते है, जो निम्न है-
1. लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में बांटकर- क्या आप अपने घर की छत पर सीधे एक छलांग से जाते हो? नहीं ना। उसके लिए हमारें घर में सीढींया बनी होती है। और हम एक एक सीढी चढते हुए छत तक पहुंचते है। इसलिए यह जरूरी है कि हमारे जीवन का जो भी लक्ष्य हो, उसे भी छोटे छोटे पड़ावों मे बांटे। उदाहरण के लिए जैसे मैं एक प्रतिष्ठित लेखक बनना चाहता हूं, यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य है। लेकिन मैंने इस बड़े लक्ष्य को बांट कर रखा है। जैसे कि मैं पहले बहुत सी किताबें पढूंगा और यह सीखूंगा कि लिखा कैसे लिखा जाता है, इसके बाद मैं लिखना शुरू करूंगा, फिर अपने लेख पत्रिकाओं और वेबपत्रिकाओं में प्रकाशित करवाउंगा, प्रतिष्ठित लेखकों से अपने लेखों की समीक्षा करवाउंगा और बहुत सारे लेख छपने के बाद मैं अपनी खुद की एक पुस्तक प्रकाशित करवाउंगा। यह मेरे लक्ष्य के छोटे छोट पड़ाव है जिन्हें मैं एकदम नहीं कम से कम पांच या आठ सालों में पूरा करना चाहता हूं। यह ध्यान रखे कि तेजी से मिली सफलता अस्थायी होती है, जबकि मेहनत से प्राप्त सफलता स्थायी होती है।
2. पूर्ण योजना के साथ- अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना है छोटे छोटे लक्ष्य बनाना। लेकिन इन छोटे लक्ष्यों की प्राप्ति करने के लिए भी हमें बहुत सी योजना पर काम करना होता है। जैसे लिखना सीखने के बाद जब लिखना शुरू करते है तो इस बात पर भी पूरा गौर करना होता है कि Readers को कौनसा विषय पढना अधिक पंसद है। उसकी पसंद और नापसंद की पड़ताल करने के साथ साथ और भी कई पहलूओं को देखना पड़ता है। अपने एक लक्ष्य को पूरा करके हमें अगले लक्ष्य के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। और अगला लक्ष्य पूरा करते वक्त हमें अपनी पिछली योजना की कमियों को भी दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए।
3. अडिग विश्वास- अपनी उक्त योजना पर काम करते वक्त बहुत से लोग ऐसे समझने लग जाते है कि हम अपने लक्ष्य से भटक गए है। इसलिए वे आपकी आलोचना भी शुरू करते है लेकिन आप उस विजेता युवक की भांति योजनानुरूप आगे बढते जाए। अंत में विजय आपकी ही होगी। हां आपकों आलोचना और समीक्षा में फर्क समझना होगा। समीक्षा को गंभीरता से ले मगर आलोचना को हवा में जाने दे।
4. चलते जाए- जीवन में रूकने का नाम मृत्यु है। हमेशा चलने वाला ही विजय पाता है। जिस प्रकार ठहरा पानी कीचड़ बन जाता है, उसी तरह थक कर या निराश होकर बैठने वालें अपने जीवन को बर्बाद कर देते है। अपने लक्ष्यों को पूरा करने के बाद अगर आप विश्राम लेते है तो यह विश्राम आराम का नहीं बल्कि आगे की योजना पर विचार करने का समय होना चाहिए।
अब आप जान चुके है कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्या करना है? अडिग विश्वास के साथ पूरी योजना बनाते हुए छोटे छोटे पड़ावों मे अपने लक्ष्य को पूर्ण करके विजेता बनना है। मुझे विश्वास है कि विचार प्रेरणा Blog (VPB) एक दिन आपकी Success Story अपने Blog पर Publish कर खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा।
Ok Good bye and take care!!!
Written By- Ram Lakhara
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बहुत बढ़िया लेख... बहुत अच्छा लिखा है आपने
ReplyDeleteमेरा blog भी पढ़े ...www.achchisalah.blogspot.in
Thanks!!! yes i will.
DeleteAcha hai
ReplyDeletehttps://www.blogger.com/blogger.g?blogID=8685452871458096044#allposts/src=sidebar
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