How to win hearts in hindi
How to win hearts |
कई लोग ऐसे होते है जिन्हें हर कोई अपने पास रखने चाहता है जबकि बहुत से ऐसे लोग है जिनका कोई नाम भी नहीं लेना चाहता। कई लोग अपनी जिंदगी में इतने सफल होते हे कि ताज्जुब होता है। अगर आप उनकी सफलता का रहस्य जानने निकलेंगें तो आप उनके व्यवहार, आचार विचार में इतनी विशेषताए पाएंगे जो हर सामान्य इंसान में आज के समय में तो कम से कम नहीं मिलेंगी।
मेरा एक दोस्त को जब भी बाल बनवाने होते है या शेविंग करवानी होती है तो वो राहुल नाम के एक नाई के पास जाता, जिसका अपना पार्लर था। राहुल के अलावा मेरा मित्र किसी भी दुसरे को अपने बालों के हाथ तक नहीं लगाने देता था। एक बार राहुल का पार्लर बंद था और मेरे मित्र को अपने बाल बनवाने थे। उसने पूछताछ की तो मालूम चला कि राहुल अगले 7 दिनों तक पार्लर पर नहीं आने वाला है। मेरे मित्र ने एक ही मिनट में निर्णय ले लिया कि अगले 7 दिनों के बाद ही वो अपने बाल बनवाएगा। मैनें उससे कहा कि वो शहर के किसी भी दूसरे पार्लर पर अपने बाल बनवा ले पर मेरा मित्र इसके लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं हुआ। उसकी इस जिद को देखकर मैनें सोचा कि अगली बार मैं भी राहुल के पास ही बाल बनवाने जाउंगा देखता हुँ कि ऐसी क्या खास बात हैं जो कई लोग सिर्फ उसी के पास ही अपने बाल बनवाना चाहते है।
नियत सात दिन के बाद मैं भी अपने मित्र के साथ बाल बनवाने पहुँचा और उस दिन के बाद मैं भी अपने बाल सिर्फ और सिर्फ राहुल से बनवाता हुँ।
ऐसा क्यों हुआ? ग्राहकों के उसके प्रति आकर्षण के राज का पता लगाने के लिए ही मैं राहुल के पार्लर गया था।
वहाँ जाकर मैनें जो निष्कर्ष निकाला वो यह था कि राहुल दिल जीतने की कला जानता था।
मेरा एक दोस्त को जब भी बाल बनवाने होते है या शेविंग करवानी होती है तो वो राहुल नाम के एक नाई के पास जाता, जिसका अपना पार्लर था। राहुल के अलावा मेरा मित्र किसी भी दुसरे को अपने बालों के हाथ तक नहीं लगाने देता था। एक बार राहुल का पार्लर बंद था और मेरे मित्र को अपने बाल बनवाने थे। उसने पूछताछ की तो मालूम चला कि राहुल अगले 7 दिनों तक पार्लर पर नहीं आने वाला है। मेरे मित्र ने एक ही मिनट में निर्णय ले लिया कि अगले 7 दिनों के बाद ही वो अपने बाल बनवाएगा। मैनें उससे कहा कि वो शहर के किसी भी दूसरे पार्लर पर अपने बाल बनवा ले पर मेरा मित्र इसके लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं हुआ। उसकी इस जिद को देखकर मैनें सोचा कि अगली बार मैं भी राहुल के पास ही बाल बनवाने जाउंगा देखता हुँ कि ऐसी क्या खास बात हैं जो कई लोग सिर्फ उसी के पास ही अपने बाल बनवाना चाहते है।
नियत सात दिन के बाद मैं भी अपने मित्र के साथ बाल बनवाने पहुँचा और उस दिन के बाद मैं भी अपने बाल सिर्फ और सिर्फ राहुल से बनवाता हुँ।
ऐसा क्यों हुआ? ग्राहकों के उसके प्रति आकर्षण के राज का पता लगाने के लिए ही मैं राहुल के पार्लर गया था।
वहाँ जाकर मैनें जो निष्कर्ष निकाला वो यह था कि राहुल दिल जीतने की कला जानता था।
Inspirational Article |
जब मैं वहा पहुँचा तो राहुल ने सबसे पहले अपने चेहरे पर एक मधुर मुस्कान लिए मुझसे हाथ मिलाया (ध्यान रहे हम दोनो अनजान थे) और बड़ी ही सरलता से कहा कि दस मिनट आप बैठिये, मैं आपकी शेविंग कर दुंगा। उस बीच उसने हमें पानी पिलाया। उसके पार्लर में एक म्युजिक सेट पर गाना बज रहा था, उसने मुझसे पूछा कि भाई साहब! गाना अच्छा है या बदल दू। मैं मन ही मन हैरान। जिस इंसान को मैं जानता तक नहीं वो मुझसे ऐसे पेष आ रहा है जैसे कि मैं उसे दस सालों से जानता हुँ।
जब उसने मेरी शेविंग बनानी शुरू की तो सबसे पहले उसने मेरी हेयर स्टाइल की तारीफ की और यह भी कहा कि आपके सिर के बाल बहुत नरम है। अपनी तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती? मैनें भी खुश होकर धन्यवाद दिया Thank You।
और जब मैं रवाना हुआ तो राहुल ने मुझसे फिर हाथ मिलाया, जी हाँ चेहरे पर मुस्कान भी थी। अगर उसने उस वक्त मुझसे यह कह दिया होता कि दुकान पर शेविंग के लिए आते रहना, तो मैं दुबारा कभी उसकी दूकान पर नहीं जाता। इसकी जगह उसने मुझे कहा कि भैया! मिलते रहना।
यह बात तो तय थी कि उसे अपने पार्लर के लिए ग्राहक बढ़ाने थे पर फिर भी उसने कहीं भी यह जाहिर नहीं होने दिया कि कि वो अपना व्यापार बढाने के लालच से ऐसा सौम्य व्यवहार कर रहा है । उसने तो मुझसे यही कहा कि भैया! मिलते रहना।
जब मैं पार्लर से बाहर निकला तो निकलते ही मैनें अपने दोस्त से कहा कि राहुल वास्तव में बहुत अच्छा इंसान है। मुझे यह मालूम चल गया था कि राहुल की सफलता (Success) का राज क्या है?
अपने काम में तो राहुल माहिर था ही पर साथ ही साथ उसमें जो व्यवहारिक खूबियां थी वो उसके ग्राहको को उसके पास खींच लाती थी।
मोहनलाल एक रेस्टोरेंट चलाते है। मोहनलाल बताते है कि जब मैनें यह रेस्टोरेंट खोला था तो सिर्फ गिने चुने ग्राहक आते थे लेकिन आज एक दिन में लगभग एक हजार ग्राहक मेरेे रेस्टोरेंट में आते है। साथ ही वो यह भी बताते है कि शुरूआती 3 सालों तक यह रेस्टोरेंट बिल्कुल नहीं चला, यहा तक कि रेस्टोरेट को बंद करने तक की नौबत आ गयी। लेकिन एक दिन मुझे मेरे बेटे ने गुस्से में मुझे एक बात बोल दी जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। उसने मुझसे कहा कि पापा आपके इसी व्यवहार के कारण कोई भी आपके पास नहीं आना चाहता।
उस रात मोहनलाल ने खूब सोचा कि उसका ऐसा कौनसा व्यवहार है जिससे लोग उसके पास नहीं आना चाहते। पूरी रात के चिंतन के बाद उन्होनें निष्कर्ष निकाला कि वो ना तो किसी से तुनक कर बात करेगें और ना ही किसी को कम महत्व देंगे।
अगले दिन से मोहनलाल जी ने अपने जीवन को बदल दिया। इसका असर उनके रेस्टोरेंट पर भी पड़ने लगा। मोहनलाल जी अब अपने रेस्टोरेंट आने वाले हर ग्राहक का मुस्कान के साथ स्वागत करते और हर ग्राहक की टेबल के पास व्यक्तिगत रूप से जाकर उसे नाम से पुकारकर उसके हाल चाल पूछते और अपने हर एक ग्राहक की सच्ची प्रशंसा जरूर करते। वे अपने हर ग्राहकों से विनम्रता से पेश् आने लगे। वे अपने हर ग्राहक को खास होने का एहसास कराते। इसका नतीजा यह हुआ कि आज दस सालों के बाद उनका रेस्टोरेंट शहर का सबसे व्यस्त रेस्टोरेंट है।
एक चीनी कहावत है- अगर आपकों मुस्कुराना नहीं आता तो आप एक दूकानदार नहीं बन सकते।
ऐसा ही प्रयोग रोहित गुप्ता ने किया। रोहित प्रधानाध्यापक है और वो बताते है कि मुझे पढ़ाते हुए 15 बरस हो गये और आज मैं एक निजी स्कूल का शिक्ष्क होने के बावजूद भी महीने के 80,000 रूप्ये कमाता हुँ। वो अपनी सफलता का राज बताते हुए कहते है कि शुरू शुरू में मैं बहुत सख्त शिक्षक हुआ करता था लेकिन धीरे धीरे मैनें अपने व्यवहार को सौम्य बनाने का अभ्यास किया। मैं अपने छात्रों के अभिभावकों से उनके बच्चों का दोष बताने के बजाय उनकी सच्ची तारीफ करने लगा और अपने विद्यार्थियों को हँसते हँसाते हुए पढ़ाने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि मेरे विद्यार्थी अच्छा परिणाम लाने लगे और मेरे व्यवहार से प्रसन्न होकर अन्य अभिभावक भी अपने बच्चों को मेरे पास पढ़ने के लिए भेजने लगे। मेरे स्कूल संचालकों को मुझे रखना जरूरी हो गया और उन्होनें मुझे पदोन्नत कर प्रधानाध्यापक (Headmaster) बना दिया।
अभिभावकों के विश्वास और प्रेम ने मुझे कभी इस बात का पश्चाताप नहीं होने दिया कि मैं एक सरकारी शिक्षक नहीं बन सका।
उपर के सभी उदाहरण को अगर आप देखेंगे तो आपको राहुल, मोहनलाल और रोहित के व्यवहार में कुछ बाते एक जैसी लगेंगी, और जो बाते एक जैसी लगेंगी वहीं दिल जीतने के सबसे आसान तरीके है। जो निम्न है
जब उसने मेरी शेविंग बनानी शुरू की तो सबसे पहले उसने मेरी हेयर स्टाइल की तारीफ की और यह भी कहा कि आपके सिर के बाल बहुत नरम है। अपनी तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती? मैनें भी खुश होकर धन्यवाद दिया Thank You।
और जब मैं रवाना हुआ तो राहुल ने मुझसे फिर हाथ मिलाया, जी हाँ चेहरे पर मुस्कान भी थी। अगर उसने उस वक्त मुझसे यह कह दिया होता कि दुकान पर शेविंग के लिए आते रहना, तो मैं दुबारा कभी उसकी दूकान पर नहीं जाता। इसकी जगह उसने मुझे कहा कि भैया! मिलते रहना।
यह बात तो तय थी कि उसे अपने पार्लर के लिए ग्राहक बढ़ाने थे पर फिर भी उसने कहीं भी यह जाहिर नहीं होने दिया कि कि वो अपना व्यापार बढाने के लालच से ऐसा सौम्य व्यवहार कर रहा है । उसने तो मुझसे यही कहा कि भैया! मिलते रहना।
जब मैं पार्लर से बाहर निकला तो निकलते ही मैनें अपने दोस्त से कहा कि राहुल वास्तव में बहुत अच्छा इंसान है। मुझे यह मालूम चल गया था कि राहुल की सफलता (Success) का राज क्या है?
अपने काम में तो राहुल माहिर था ही पर साथ ही साथ उसमें जो व्यवहारिक खूबियां थी वो उसके ग्राहको को उसके पास खींच लाती थी।
मोहनलाल एक रेस्टोरेंट चलाते है। मोहनलाल बताते है कि जब मैनें यह रेस्टोरेंट खोला था तो सिर्फ गिने चुने ग्राहक आते थे लेकिन आज एक दिन में लगभग एक हजार ग्राहक मेरेे रेस्टोरेंट में आते है। साथ ही वो यह भी बताते है कि शुरूआती 3 सालों तक यह रेस्टोरेंट बिल्कुल नहीं चला, यहा तक कि रेस्टोरेट को बंद करने तक की नौबत आ गयी। लेकिन एक दिन मुझे मेरे बेटे ने गुस्से में मुझे एक बात बोल दी जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। उसने मुझसे कहा कि पापा आपके इसी व्यवहार के कारण कोई भी आपके पास नहीं आना चाहता।
उस रात मोहनलाल ने खूब सोचा कि उसका ऐसा कौनसा व्यवहार है जिससे लोग उसके पास नहीं आना चाहते। पूरी रात के चिंतन के बाद उन्होनें निष्कर्ष निकाला कि वो ना तो किसी से तुनक कर बात करेगें और ना ही किसी को कम महत्व देंगे।
अगले दिन से मोहनलाल जी ने अपने जीवन को बदल दिया। इसका असर उनके रेस्टोरेंट पर भी पड़ने लगा। मोहनलाल जी अब अपने रेस्टोरेंट आने वाले हर ग्राहक का मुस्कान के साथ स्वागत करते और हर ग्राहक की टेबल के पास व्यक्तिगत रूप से जाकर उसे नाम से पुकारकर उसके हाल चाल पूछते और अपने हर एक ग्राहक की सच्ची प्रशंसा जरूर करते। वे अपने हर ग्राहकों से विनम्रता से पेश् आने लगे। वे अपने हर ग्राहक को खास होने का एहसास कराते। इसका नतीजा यह हुआ कि आज दस सालों के बाद उनका रेस्टोरेंट शहर का सबसे व्यस्त रेस्टोरेंट है।
एक चीनी कहावत है- अगर आपकों मुस्कुराना नहीं आता तो आप एक दूकानदार नहीं बन सकते।
ऐसा ही प्रयोग रोहित गुप्ता ने किया। रोहित प्रधानाध्यापक है और वो बताते है कि मुझे पढ़ाते हुए 15 बरस हो गये और आज मैं एक निजी स्कूल का शिक्ष्क होने के बावजूद भी महीने के 80,000 रूप्ये कमाता हुँ। वो अपनी सफलता का राज बताते हुए कहते है कि शुरू शुरू में मैं बहुत सख्त शिक्षक हुआ करता था लेकिन धीरे धीरे मैनें अपने व्यवहार को सौम्य बनाने का अभ्यास किया। मैं अपने छात्रों के अभिभावकों से उनके बच्चों का दोष बताने के बजाय उनकी सच्ची तारीफ करने लगा और अपने विद्यार्थियों को हँसते हँसाते हुए पढ़ाने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि मेरे विद्यार्थी अच्छा परिणाम लाने लगे और मेरे व्यवहार से प्रसन्न होकर अन्य अभिभावक भी अपने बच्चों को मेरे पास पढ़ने के लिए भेजने लगे। मेरे स्कूल संचालकों को मुझे रखना जरूरी हो गया और उन्होनें मुझे पदोन्नत कर प्रधानाध्यापक (Headmaster) बना दिया।
अभिभावकों के विश्वास और प्रेम ने मुझे कभी इस बात का पश्चाताप नहीं होने दिया कि मैं एक सरकारी शिक्षक नहीं बन सका।
उपर के सभी उदाहरण को अगर आप देखेंगे तो आपको राहुल, मोहनलाल और रोहित के व्यवहार में कुछ बाते एक जैसी लगेंगी, और जो बाते एक जैसी लगेंगी वहीं दिल जीतने के सबसे आसान तरीके है। जो निम्न है
- जिस किसी से भी मिले पूरे जोश् और मधुर मुस्कान के साथ मिले, चाहे पहली बार मिल रहे हो या सौवीं बार।
- एक बार मिलने के बाद जब भी किसी से मिले उसे नाम के साथ जरूर पुकारे। ध्यान रखे कि हर व्यक्ति को अपना नाम सबसे प्रिय होता है और साथ ही उसे अपने खास होने का एहसास भी होता है।
- सच्ची प्रशंसा जरूर करे, यह सीधे दिल तक जाती है।
- हर एक व्यक्ति को खास होने का एहसास कराए।
- हँसते रहे, याद रखे हँसने वाले के साथ दुनिया हँसती है जबकि रोने वाले के साथ कोई नहीं रोता।
- अपने व्यवहार को वास्तव में सौम्य बनाए, दिखावा ना करे।
Written By- Ram Lakhara
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Very very smart muje aapki or bate cahiye
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